Wednesday, April 21, 2010

गुर्जर,सरकार और न्यायलय :


एक और तो आधारस्तम्ब उच्च न्यायलय ने १६ अप्रेल को दिए अपने विचार में कहा की राजस्थान सरकार को गुर्जर आरक्षण का हल निकालने के लिए कमेटी बनानी चाही है. इस पर राजस्थान सरकार ने इसरानी कमेटी बना दी. अब बात ये की पूर्व में वसुंधरा सरकार के दोरान बनाई गयी कमेटी ने जब काफी समय के बाद अपनी रिपोर्ट दी तो भी ये स्पस्ट रूप से कहा गया था की गुर्जरों की इस्तिथि काफी पिछाड़ी हुई है. और गुर्जरों के लिए विशेष पिकेज देना व आराक्षण के नियमो को आज के समय में गलत बताया था. और सिफारिश करी थी की इन अराक्षण की कसोटी के नियमो को परखा और फिर परिवर्तित किया जावे.पर फिर भी आजतक इसका कोई मतलब नहीं निकला.


अब हाल ही में न्यायमूर्ति इन्द्र सेन इसरानी की अध्यक्षता में गठित कमेटी अपनी रिपोर्ट मात्र कुछ ही दिनों में दे देगी तो सवाल ये उठाता है की क्या मात्र १५-३० दिनों में ही कमेटी अपनी रिपोर्ट दे देगी तो क्या ये रिपोर्ट सही होगी ? क्या इतने समय से चली आ रही समयस्या का समाधान निकल जायेगा या फिर ये भी सरकार का एक नया बहाना है.

गुर्जर और न्यायलय :


एक और तो आधारस्तम्ब उच्च न्यायलय ने १६ अप्रेल को दिए अपने विचार में कहा की राजस्थान सरकार को गुर्जर आरक्षण का हल निकालने के लिए एक कमेटी बनानी चाही है पर वही दूसरी तरफ एक और तो उच्च न्यायलय ने इस आरक्षण पर रोक लगा रखी है तो अब ऐसे में इस कमेटी को बनाने का क्या मतलब है अगर ये कमेटी बन गयी है तो फिर इस कमेटी को कार्य करने में काफी समय लगेगा ऐसे में इस का नुकास्सन राजस्थान की जनता को उठाना पड़ेगा 1

अक्षय कुमार (राजीव भाटिया) :


'कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो' यह पंक्ति उस वक्त बिल्कुल हकीकत नजर आती है, जब हम पिछले साल चार हिट फिल्में देकर सफलता की शिख़र पर बैठने वाले अक्षय कुमार की जिन्दगी में झाँकते हैं. आज अक्षय कुमार का नाम सफलतम सितारों में शुमार हो गया, हर किसी को उसका हर लुक भा रहा है, चाहे वो एक्शन हो, चाहे रोमांटिक या चाहे कामेडी. आज दर्शक उसकी सफलता देखकर वाह अक्षय वाह कह रहे हैं, मगर ज्यादातर दर्शकों को अक्षय के संघर्षशील दौर के बारे में पता नहीं, हां मगर, जिनको पता है वो अक्षय को संघर्ष का दूसरा नाम मानते हैं. गौरतलब है कि होटलों, ट्रेवल एजेंसी व आभूषण बेचने जैसे धंधों में किस्मत आजमाने वाले राजीव भाटिया ने बच्चों को मार्शल आर्ट भी सिखाया. इसी संघर्ष के दौर में उनको मॉडलिंग करने का ऑफर मिला. जिसके बाद दिल्ली के चांदनी चौक में रहने वाला राजीव भाटिया अक्षय कुमार के रूप में ढल गया और बड़े पर्दे पर अपनी अदाकारी के जलवे दिखाने लगा. अक्षय कुमार ने फिल्म 'सौगंध' के मार्फत बालीवुड में कदम रखा, उसके बाद खिलाड़ी, सैनिक, मोहरा, हम हैं बेमिसाल, वक्त हमारा है, एलान, मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी, मैदान-ए-जंग जैसी कई एक के बाद एक एक्शन फिल्में दी. इस दौर में अक्षय की ज्यादातर फिल्में हिट या औसत रहती थी, जिसके चलते अक्षय बालीवुड में टिका रहा, मगर फिर एक दौर आया, जब अक्षय की हर फिल्म बॉक्स आफिस पर आकर दम तोड़ने लगी. इसके बाद फिर अक्षय की डुबती नैया को संघर्ष, जानवर, धड़कन, हेराफेरी, आँखें जैसी फिल्मों ने बचा लिया. इस दौरान अक्षय कुमार का नाम रवीना टंडन और फिर शिल्पा शेट्टी के साथ जुड़ने लगा, मगर अक्षय ने समझदारी से काम लेते हुए ट्विंकल खन्ना से शादी करके सभी अटकलों पर अंकुश लगा दिया. शादी के बाद अक्षय कुमार की जिन्दगी धीरे धीरे सफलता की तरफ बढ़ने लगी, बॉक्स आफिस पर आने वाली अक्षय कुमार की ज्यादातर फिल्में हिट होने लगी, मगर वर्ष 2006 और 2007 ने तो अक्षय कुमार को सफलता के रथ पर सवार करवा ही दिया. इन सालों के दौरान अक्षय कुमार की 'हम को दीवाना कर गए', 'फिर हेराफेरी', 'जानेमन', 'भागमभाग', 'नमस्ते लंदन', 'हे बेबी', 'भूल भुलैया', 'ओम शांति ओम' (मेहमान भूमिका) और वैलकम आदि फिल्में रिलीज हुई, जिन्होंने अक्षय कुमार की तकदीर के पत्ते ही पलट दिए. आज अक्षय कुमार के पास बड़े बड़े निर्माता निर्देशक आ रहे हैं, मगर अक्षय कुमार के पास वक्त नहीं,सफलता की शिख़र पर बैठे अक्षय कुमार अपने कैरियर को लेकर कितना सजग हो चुके हैं, इस बात का पता तो पिछले दिनों सामने आई एक घटना से लगाया जा सकता है. हुआ यूं कि पिछले दिनों यशराज बैनर ने अक्षय कुमार को टशन के अलावा एक और फिल्म के लिए साईन करना चाहा, मगर जब अक्षय ने फिल्म की कहानी सुनी तो फिल्म करने से इंकार कर दिया. इस बात से आदित्य काफी नाराज हुए, हों भी क्यों न, क्योंकि बालीवुड के बड़े बड़े स्टार यशराज बैनर तले काम करने के दौड़े दौड़े जो आते हैं. मगर अक्षय कुमार उनमें शामिल नहीं. कुछ समय पहले अक्षय ने एक अख्बार को दिए साक्षात्कार में कहा था कि आज वो जिस मुकाम पर हैं, उसके पीछे बड़े बैनर नहीं बल्कि छोटे छोटे बैनर और निर्माता-निर्देशकों का हाथ है. इतना ही नहीं साल अक्षय कुमार और यशराज फिल्मस की पहली फिल्म टशन रिलीज होगी, जिसको लेकर लोगों में क्रेज है. इस फिल्म के बढ़े क्रेज के पीछे यशराज बैनर नहीं बल्कि अक्षय कुमार की बढ़ती लोकप्रियता है. याद हो तो पिछले साल यशराज की चार फिल्में बुरी तरह फ्लाप हुई थी जबकि अक्षय की चार फिल्में हिट गई थी. इसके अलावा अक्षय कुमार की लोकप्रियता का अंदाजा तो छोटे पर्दे के कार्यक्रम 'फीयर फैक्टर' के प्रति ऐपीसोड 1.5 करोड़ रुपए मिलने से लगाया जा सकता है. इसके अलावा खिलाड़ी के हाथ में ऐसी फिल्में है, जोकि बॉक्स पर धमाल मचाए बिना नहीं जाएंगी, जिनमें 'सिन्ह इज किंग' 'ब्लू' 'दिल्ली चाँदनी चौक टू बैंकॉक' 'एक्शन रिप्ले' 'टेन वाय एट' 'हेराफेरी 4' और साजिद खान की अनाम फिल्म आदि शामिल हैं. अक्षय कुमार का जन्म पंजाब के पवित्र शहर अमृतसर में 9 सितम्बर 1967 को हरीओम भाटिया के घर हुआ, उनके पिता सरकारी नौकरी करते थे. जिसके चलते वो अमृतसर साहिब से दिल्ली चाँदनी चौक में आकर रहने लगे. इसके बाद अक्षय कुमार (राजीव भाटिया) ने अपने पांव पर खड़ा होने के लिए यूनिसेफ के कार्ड बेचने शुरू कर दिए. अक्षय कुमार को प्रति कार्ड पचास पैसे मिलते थे. इसके बाद आभूषण, ट्रैवल एजेंसी, होटल, आर्ट मार्शल और पार्टियों में डांस कर पैसे कमाने का जुगाड़ लगाया, मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. दिल्ली के राजीव भाटिया को तय करना था अक्षय कुमार तक का सफर. इस सितारे ने एक्शन, कामेडी और रोमांटिक हर तरह की भूमिका निभायी, जिसको दर्शकों ने खूब सराहा, इतना ही नहीं इस सितारे ने अजनबी फिल्म में अदाकारी के ऐसे जलवे दिखाए कि बेस्ट विलेन का अवार्ड भी अपने नाम कर लिया.

मोहम्मद अजहरुद्दीन


मोहम्मद अजहरुद्दीन पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान. ये हैदराबाद, कर्नाटक से है. इनका गोत्र खैपेर है

अर्जुन रामपाल


अर्जुन रामपाल एक बहुत ही बढ़िया और मेहनती कलाकार है.
अर्जुन रामपाल ने अपने करियर का पारंभ एक मॉडल के रूप में किया था.
ये जबलपुर, मध्यप्रदेश से है. इनका गोत्र भडाना है.वास्तव में वो भोंकारी गाँव, फरीदाबाद के रहने वाले है.
इनकी पत्नी महसूर मॉडल मेहर जेसिया है.

नामी गुर्जरों में वल्लभ भाई पटेल भी:


देश के नामी गुर्जरों की बात करें तो देश को एकीकरण के सूत्र में पिरोने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल का नाम सबसे ऊपर है। उनके अलावा पूर्व राष्ट्रपति स्व. फखरुद्दीन अली अहमद, पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. राजेश पायलट, उनके पुत्र सांसद सचिन पायलट, नामी शायर साहिर लुधियानवी, क्रिकेटर अजहरुद्दीन, फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार और अर्जुन रामपाल भी गुर्जर हैं।

संघर्ष और स्वामिभक्ति की मिसाल:


संघर्षशील और जुझारू स्वभाव वाला गुर्जर समुदाय स्वामीभक्ति, दोस्ती और विश्वास की रक्षा के लिए अपना जीवन न्यौछावर करने के लिए विख्यात है। अपने कहे पर कायम रहने और उस पर खरे उतरे के मामले में गुर्जरों की विशेष ख्याति रही है। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपनी पुस्तक ‘डिस्कवरी आफ इंडिया’ में अपनी मातृभूमि के प्रति गुर्जर समुदाय के साहस, बहादुरी और वचनबद्धता की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। इतिहास गवाह है कि अरब से आने वाले आक्रमणकारियों को गुर्जरों ने लगातार 300 साल तक भारतीय सीमा में घुसने भी नहीं दिया था।